सभी 10 सिख गुरुओं का विस्तृत जीवन परिचय और शिक्षाएं | Sikh Gurus in Hindi - GK 2 JOB, Hppsc gk questions in Hindi, gk, सामान्य ज्ञान प्रश्न 2025, general knowledge questions

सभी 10 सिख गुरुओं का विस्तृत जीवन परिचय और शिक्षाएं | Sikh Gurus in Hindi


प्रस्तावना

सिख धर्म एक एकेश्वरवादी धर्म है। जिसकी स्थापना 15वीं शताब्दी में गुरु नानक देव जी द्वारा की गई थी। इस धर्म की नींव समानता, सेवा, न्याय और ईश्वर के प्रति प्रेम पर आधारित है। सिख धर्म के दस गुरुओं ने समाज को आध्यात्मिक,नैतिक सामाजिक और दिशा प्रदान की। इस ब्लॉग में हम सभी दस गुरुओं का विस्तृत परिचय देंगे। और मानव कल्याण के लिए उनके द्वारा किए गए सभी कार्य को याद करेंगे।

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सिख गुरुओं का जीवन परिचय और शिक्षाए

1. गुरु नानक देव जी (1469 - 1539)

  1. गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में तलवंडी (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ।

  2. उनका जन्म हिंदू परिवार में हुआ, परंतु बचपन से ही वे अध्यात्म की ओर झुके हुए थे।

  3. उन्होंने बचपन में ही गहरी धार्मिक जिज्ञासा और आध्यात्मिक चिंतन की प्रवृत्ति दिखाई।

  4. उन्होंने यात्रा करके अनेक धर्म स्थलों का भ्रमण किया जिसे 'उदासियाँ' कहा गया।

  5. उन्होंने 'एक ओंकार' का संदेश दिया कि ईश्वर एक है।

  6. जात-पात, अंधविश्वास और ढकोसलों का विरोध किया।

  7. गुरु जी ने सेवा, सच्चाई और प्रेम को धर्म का आधार बताया।

  8. उन्होंने हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों की अच्छाइयों को स्वीकारा और कट्टरता का विरोध किया।

  9. वे मानवता के लिए एकता, भाईचारे और समानता का सजीव प्रतीक थे।

  10. उन्होंने करतारपुर में संगत और लंगर की परंपरा की शुरुआत की।


2. गुरु अंगद देव जी (1504 - 1552)

  1. गुरु अंगद देव जी का जन्म 1504 में मत्ते दी सराय में हुआ।

  2. उनका असली नाम 'लहणा' था।

  3. वे गुरु नानक देव जी के शिष्य बने और उनकी सेवा में लगे रहे।

  4. गुरु नानक जी ने उन्हें अपनी गद्दी सौंपी और 'अंगद' नाम दिया।

  5. उन्होंने गुरुमुखी लिपि को मान्यता दी और उसे प्रचारित किया।

  6. सिख धर्म को मजबूत आधार प्रदान किया।

  7. उन्होंने शारीरिक व्यायाम, कुश्ती आदि को प्रोत्साहित किया।

  8. उन्होंने बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया।

  9. वे अत्यंत विनम्र, अनुशासित और त्यागी संत थे।

  10. उनके कार्यकाल में सिख समुदाय और अधिक संगठित हुआ।


3. गुरु अमर दास जी (1479 - 1574)

  1. गुरु अमर दास जी का जन्म 1479 में बसारके गांव में हुआ।

  2. वे पहले हिंदू संन्यासी जीवन जी रहे थे।

  3. उन्होंने 60 वर्ष की उम्र में गुरु अंगद देव जी से दीक्षा ली।

  4. उन्होंने लंगर प्रथा को सख्ती से लागू किया - पहले लंगर फिर दर्शन।

  5. नारी सशक्तिकरण के समर्थक थे, सती प्रथा के विरोधी।

  6. उन्होंने 22 मंझियाँ स्थापित कर धर्म प्रचार किया।

  7. उन्होंने सिख रीति-रिवाजों का विकास किया।

  8. साधारण जीवन और सेवा भावना के प्रतीक थे।

  9. तीर्थ यात्राओं में भेदभाव का विरोध किया।

  10. गुरु जी ने धर्म को सामाजिक सेवा से जोड़ा।


4. गुरु राम दास जी (1534 - 1581)

  1. गुरु राम दास जी का जन्म 1534 में लाहौर में हुआ।

  2. वे गुरु अमर दास जी के दामाद और शिष्य थे।

  3. उन्होंने अमृतसर शहर की स्थापना की।

  4. उन्होंने 'सरोवर' की खुदाई करवाई जिसे बाद में 'स्वर्ण मंदिर' कहा गया।

  5. वे अत्यंत विनम्र, परिश्रमी और सेवाभावी थे।

  6. उन्होंने 'आनंद कारज' विवाह पद्धति का प्रचार किया।

  7. भक्ति संगीत को बढ़ावा दिया।

  8. उन्होंने व्यापारी वर्ग को धर्म से जोड़ा।

  9. उनकी वाणी गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल है।

  10. उनके समय में सिख धर्म का सामाजिक प्रभाव बढ़ा।


5. गुरु अर्जन देव जी (1563 - 1606)

  1. गुरु अर्जन देव जी गुरु राम दास जी के पुत्र थे।

  2. वे पाँचवें गुरु के रूप में नियुक्त हुए।

  3. उन्होंने 'श्री हरमंदिर साहिब' का निर्माण पूर्ण कराया।

  4. गुरु ग्रंथ साहिब (आदि ग्रंथ) का संकलन किया।

  5. उसमें संत कबीर, नामदेव जैसे भक्तों की वाणी भी सम्मिलित की।

  6. उन्होंने शांतिपूर्ण धर्म का पालन किया।

  7. मुग़ल शासक जहाँगीर के अत्याचारों का विरोध किया।

  8. उन्हें लाहौर में गर्म तवे पर बैठा कर शहीद किया गया।

  9. वे पहले सिख शहीद माने जाते हैं।

  10. उनके बलिदान ने सिखों में न्याय और साहस की भावना को जन्म दिया।


6. गुरु हरगोबिंद जी (1595 - 1644)

  1. गुरु हरगोबिंद जी गुरु अर्जन देव जी के पुत्र थे।

  2. उन्होंने 'मीरी और पीरी' की दो तलवारें धारण की।

  3. सिखों को आत्मरक्षा और शौर्य का पाठ पढ़ाया।

  4. उन्होंने अकाल तख्त की स्थापना की।

  5. सैनिक संगठन का निर्माण किया।

  6. उन्होंने शिकार और घुड़सवारी जैसे युद्ध कौशल सिखाए।

  7. उन्होंने कई युद्धों में मुगलों को हराया।

  8. धार्मिकता के साथ-साथ राजनैतिक नेतृत्व भी किया।

  9. उन्होंने बंदी छोड़ दिवस की परंपरा शुरू की।

  10. उनके कार्यकाल से सिख धर्म एक सैन्य शक्ति के रूप में उभरा।


7. गुरु हर राय जी (1630 - 1661)

  1. गुरु हर राय जी गुरु हरगोबिंद जी के पौत्र थे।

  2. वे अत्यंत शांतिप्रिय और कोमल स्वभाव के थे।

  3. उन्होंने पौधों, जानवरों और प्रकृति से प्रेम किया।

  4. हर्बल औषधालय और चिकित्सा केंद्रों की स्थापना की।

  5. उन्होंने गुरु घर की प्रतिष्ठा को बनाए रखा।

  6. शारीरिक युद्ध में न पड़कर आध्यात्मिक युद्ध को प्राथमिकता दी।

  7. मुगल शासक के समय उन्होंने भाई कन्हैया की तरह सेवा भावना दिखाई।

  8. आयुर्वेद और औषधीय विज्ञान के ज्ञाता थे।

  9. समाज में सेवा और करुणा का संदेश फैलाया।

  10. उन्होंने सिखों में सहनशीलता और संयम का गुण भर दिया।


8. गुरु हरकृष्ण जी (1656 - 1664)

  1. गुरु हरकृष्ण जी सबसे कम आयु में गुरु बनने वाले गुरु थे।

  2. वे गुरु हर राय जी के पुत्र थे।

  3. केवल 5 वर्ष की उम्र में गुरु गद्दी पर बैठे।

  4. उन्हें 'बाल गुरु' कहा जाता है।

  5. दिल्ली में चेचक की महामारी के समय उन्होंने सेवा की।

  6. उन्होंने रोगियों को पानी पिलाया और दवाई बाँटी।

  7. बाल्यावस्था में भी उनमें सेवा और त्याग की भावना थी।

  8. राजमहल में उन्होंने बीमारी से ग्रस्त लोगों की सेवा की।

  9. अंततः वे स्वयं चेचक से ग्रसित हुए और दिवंगत हो गए।

  10. उनका निधन 1664 में हुआ पर उनका जीवन अमर हो गया।


9. गुरु तेग बहादुर जी (1621 - 1675)

  1. गुरु तेग बहादुर जी गुरु हर गोबिंद जी के पुत्र थे।

  2. वे अत्यंत ज्ञानी, निर्भीक और सहनशील थे।

  3. उन्होंने कश्मीरी पंडितों के अधिकारों की रक्षा की।

  4. जबरन धर्म परिवर्तन का विरोध किया।

  5. मुग़ल शासक औरंगज़ेब के सामने डटकर खड़े रहे।

  6. उन्हें दिल्ली के चांदनी चौक में शहीद किया गया।

  7. वे 'हिंद की चादर' के नाम से प्रसिद्ध हुए।

  8. उनका बलिदान धार्मिक स्वतंत्रता का प्रतीक बन गया।

  9. उन्होंने मानवता, करुणा और धर्म की रक्षा के लिए जीवन दिया।

  10. उनका बलिदान आज भी प्रेरणा स्रोत है।


10. गुरु गोबिंद सिंह जी (1666 - 1708)

  1. गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 1666 में पटना साहिब में हुआ।

  2. वे गुरु तेग बहादुर जी के पुत्र थे।

  3. उन्होंने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की।

  4. पाँच प्यारे बनाकर सिखों को साहस और समानता का पाठ पढ़ाया।

  5. उन्होंने चारों पुत्रों को धर्म की राह में बलिदान किया।

  6. उन्होंने दशम ग्रंथ की रचना की।

  7. उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का अंतिम गुरु घोषित किया।

  8. तलवार, कलम और धर्म का संतुलन उनके जीवन का आदर्श रहा।

  9. उन्होंने अन्याय के विरुद्ध युद्ध किए और सत्य के लिए लड़े।

  10. उनका जीवन वीरता, सेवा और समर्पण का प्रतीक है।


गुरु ग्रंथ साहिब — अंतिम और शाश्वत गुरु

गुरु गोबिंद सिंह जी ने यह घोषणा की कि अब से कोई मानव गुरु नहीं होगा। गुरु ग्रंथ साहिब को ही शाश्वत गुरु के रूप में मान्यता दी गई। इसमें सभी गुरुओं के उपदेश, भक्ति कवियों की वाणी और आध्यात्मिक मार्गदर्शन है।


अनुक्रमणिका

क्र.सं.गुरु का नामजीवनकालमहत्वपूर्ण योगदान
1गुरु नानक देव जी1469-1539सिख धर्म की स्थापना, "एक ओंकार" का उपदेश
2गुरु अंगद देव जी1504-1552गुरुमुखी लिपि का विकास
3गुरु अमर दास जी1479-1574लंगर प्रथा को संस्थागत रूप दिया
4गुरु राम दास जी1534-1581अमृतसर नगर की स्थापना
5गुरु अर्जन देव जी1563-1606गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन, शहादत
6गुरु हरगोबिंद जी1595-1644सैनिक परंपरा की शुरुआत
7गुरु हर राय जी1630-1661पर्यावरण प्रेमी, आयुर्वेद चिकित्सा में योगदान
8गुरु हरकृष्ण जी1656-1664चेचक पीड़ितों की सेवा
9गुरु तेग बहादुर जी1621-1675धार्मिक स्वतंत्रता हेतु बलिदान
10गुरु गोबिंद सिंह जी1666-1708खालसा पंथ की स्थापना, गुरु ग्रंथ साहिब को अंतिम गुरु घोषित किया

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प्रश्न: सिख धर्म के दस गुरुओं के नाम और उनके योगदान क्या हैं?

उत्तर:
सिख धर्म के दस गुरुओं ने मानवता को सेवा, समानता, धार्मिक स्वतंत्रता और ईश्वर भक्ति का मार्ग दिखाया।

  1. गुरु नानक देव जी – सिख धर्म की स्थापना, "एक ओंकार" का संदेश।

  2. गुरु अंगद देव जी – गुरुमुखी लिपि का विकास।

  3. गुरु अमर दास जी – लंगर प्रथा को संगठित किया।

  4. गुरु राम दास जी – अमृतसर नगर की स्थापना।

  5. गुरु अर्जन देव जी – गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन।

  6. गुरु हरगोबिंद जी – मीरी-पीरी की परंपरा।

  7. गुरु हर राय जी – प्रकृति प्रेम और आयुर्वेद चिकित्सा।

  8. गुरु हरकृष्ण जी – चेचक पीड़ितों की सेवा, सबसे कम उम्र के गुरु।

  9. गुरु तेग बहादुर जी – धार्मिक स्वतंत्रता के लिए बलिदान।

  10. गुरु गोबिंद सिंह जी – खालसा पंथ की स्थापना, गुरु ग्रंथ साहिब को अंतिम गुरु घोषित किया।

निष्कर्ष

सिख धर्म के दसों गुरुओं ने समाज को धर्म, न्याय, सेवा और समानता का मार्ग दिखाया। उनका जीवन मानवता के लिए प्रेरणा है। आज भी उनके उपदेश और जीवन मूल्य न केवल सिखों बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए मार्गदर्शक हैं।

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