भारतीय रक्षा प्रणाली के प्रमुख घटक - GK 2 JOB, Hppsc gk questions in Hindi, gk, सामान्य ज्ञान प्रश्न 2025, general knowledge questions

भारतीय रक्षा प्रणाली के प्रमुख घटक

परिचय : भारतीय रक्षा प्रणाली

भारत एक विशाल और विविधतापूर्ण देश है जिसकी सीमाएं सात देशों से लगती हैं, इसलिए इसकी सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़, आधुनिक और बहुआयामी बनाना अत्यंत आवश्यक है। समय के साथ भारत ने न केवल विदेशी हथियारों पर अपनी निर्भरता कम की है, बल्कि स्वदेशी तकनीक के माध्यम से टैंक, मिसाइल, लड़ाकू विमान, युद्धपोत और ड्रोन जैसी अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियों का विकास भी किया है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और अन्य सार्वजनिक एवं निजी संस्थानों के सहयोग से भारत ने आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं। ‘मेक इन इंडिया’ अभियान ने इस लक्ष्य को और गति दी है।


यह लेख भारत की प्रमुख टैंक, मिसाइल, वायुसेना, नौसेना, तोपखाना प्रणाली तथा ड्रोन एवं UAV सिस्टम को विस्तार से समझाने के लिए तैयार किया गया है, जिससे पाठक भारत की सैन्य ताकत और तकनीकी प्रगति को बेहतर ढंग से जान सकें।


1️⃣ भारतीय टैंक प्रणाली (Indian Tank Systems)

अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक (Arjun MBT)

यह भारत में विकसित तीसरी पीढ़ी का मुख्य युद्धक टैंक है जिसे DRDO ने डिजाइन किया है। इसे 2004 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। इसकी मारक क्षमता 4000 मीटर तक है। इसमें 120 मिमी की स्मूथबोर गन, रात्रि दृष्टि प्रणाली, स्वचालित फायर कंट्रोल सिस्टम है। इसे पूरी तरह से भारत में बनाया गया है और यह स्वदेशी रक्षा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि है।

टी-90 भीष्म टैंक (T-90 Bhishma)

रूस द्वारा विकसित यह टैंक 2001 से भारतीय सेना का हिस्सा है। भारत ने रूस के सहयोग से इसका स्वदेशी निर्माण शुरू किया। इसकी मुख्य गन 125 मिमी की है और यह 5000 मीटर तक लक्ष्य को भेद सकता है। यह NBC (न्यूक्लियर-बायोलॉजिकल-केमिकल) सुरक्षा से लैस है।

टी-72 अजय टैंक (T-72 Ajeya)

1979 में भारत द्वारा अपनाया गया यह टैंक रूस से आयात किया गया था। बाद में इसका अपग्रेड भारत में किया गया। इसकी मारक क्षमता लगभग 2500 से 3000 मीटर है। यह टैंक वर्षों तक भारत की टैंक प्रणाली की रीढ़ रहा है।

🛡️ भारतीय टैंक प्रणाली एवं विशेषताएँ

टैंक का नाम उत्पत्ति/विकास शामिल वर्ष मुख्य हथियार मारक क्षमता विशेषताएँ
अर्जुन MBT भारत (DRDO) 2004 120 मिमी स्मूथबोर गन 4000 मीटर रात्रि दृष्टि, फायर कंट्रोल
T-90 भीष्म रूस + भारत 2001 125 मिमी गन 5000 मीटर NBC सुरक्षा, सह-निर्माण
T-72 अजय रूस (अपग्रेड भारत) 1979 125 मिमी गन 2500–3000 मीटर रीढ़ की हड्डी टैंक

2️⃣ भारतीय मिसाइल प्रणाली (Indian Missile Systems)

पृथ्वी श्रृंखला (Prithvi Series)

यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है, जिसे DRDO ने विकसित किया और 1994 में शामिल किया गया। इसकी रेंज 150–350 किमी है। इसमें पृथ्वी-I (सेना), पृथ्वी-II (वायुसेना), और पृथ्वी-III (नौसेना) शामिल हैं।

अग्नि श्रृंखला (Agni Series)

अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM) हैं। अग्नि-I से अग्नि-V तक विकसित की गईं। अग्नि-V की रेंज लगभग 5,000–8,000 किमी तक है। यह श्रृंखला चीन और पाकिस्तान तक मार करने में सक्षम है।

नाग एंटी-टैंक मिसाइल (Nag ATGM)

यह तीसरी पीढ़ी की फायर एंड फॉरगेट मिसाइल है जिसे DRDO ने विकसित किया। 2020 में इसे सेना में शामिल किया गया। इसकी रेंज 500 मीटर से 4 किमी है। यह दुश्मन के बख्तरबंद वाहनों को निशाना बनाने में सक्षम है।

आकाश मिसाइल (Akash SAM)

यह सतह से वायु में मार करने वाली मिसाइल है। 2007 में भारतीय सेना में शामिल हुई। इसकी रेंज 25–30 किमी है और यह कई टारगेट को एकसाथ भेदने में सक्षम है।

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (BrahMos)

रूस के सहयोग से बनी यह मिसाइल 2007 में सेना में शामिल हुई। इसकी रेंज प्रारंभ में 290 किमी थी, अब यह 450–600 किमी तक मार कर सकती है। यह पृथ्वी, जल और वायु से दागी जा सकती है।

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल

त्रिशूल और अस्त्र मिसाइल

त्रिशूल एक शॉर्ट रेंज SAM है जबकि अस्त्र एक एयर टू एयर मिसाइल है जिसे तेजस और सुखोई जैसे विमानों में लगाया जाता है। अस्त्र की रेंज 80–110 किमी है।

🚀 भारतीय मिसाइल प्रणाली - प्रकार एवं रेंज

मिसाइल का नाम प्रकार रेंज (किमी) शामिल वर्ष विशेषताएँ
पृथ्वी श्रृंखला सतह से सतह 150–350 1994 तीन संस्करण
अग्नि श्रृंखला ICBM 700–8000 2002–वर्तमान रणनीतिक उपयोग
नाग ATGM एंटी-टैंक 0.5–4 2020 फायर एंड फॉरगेट
आकाश SAM सतह से वायु 25–30 2007 बहु-लक्ष्य क्षमता
ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल 450–600 2007 थल, जल, वायु से प्रक्षेपण
त्रिशूल शॉर्ट रेंज SAM ~12 - तेज प्रतिक्रिया
अस्त्र एयर टू एयर 80–110 - तेजस/सुखोई उपयोग


3️⃣ भारतीय वायु सेना की प्रमुख हथियार प्रणालियाँ (Air Force Combat Systems)

सुखोई Su-30MKI

रूस के सहयोग से बना यह बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान 2002 में शामिल हुआ। यह 3,000 किमी तक उड़ सकता है और इसमें ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात की जा सकती है।

राफेल लड़ाकू विमान

फ्रांस से खरीदे गए यह विमान 2020 में वायुसेना में शामिल हुए। यह अत्याधुनिक हथियार प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता और लंबी दूरी की मिसाइलों से लैस है।

तेजस एलसीए (Light Combat Aircraft)

स्वदेशी रूप से DRDO द्वारा विकसित यह विमान 2016 में सेवा में आया। इसकी रेंज लगभग 3,000 किमी है और यह हल्का, तेज और अत्यधिक युद्धक क्षमता वाला है।

तेजस  -  Light Combat Aircraft
तेजस  -  Light Combat Aircraft

मिराज 2000

फ्रांस का यह लड़ाकू विमान 1985 में शामिल किया गया। कारगिल युद्ध में इसकी बड़ी भूमिका रही है।

मिग-29 और मिग-21 बाइसन

रूस निर्मित ये विमान 1980 के दशक में शामिल हुए। मिग-21 भारत का सबसे पुराना लेकिन तेज लड़ाकू विमान है जिसे अब धीरे-धीरे सेवा से हटाया जा रहा है।


4️⃣ भारतीय नौसेना प्रणाली (Indian Naval Systems)

INS विक्रांत

भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत जिसे 2022 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। इसमें मिग-29K जैसे विमान तैनात किए जा सकते हैं।

INS विक्रमादित्य

पूर्व सोवियत विमानवाहक पोत को भारत ने 2013 में सेवा में लिया। यह भारत का सबसे बड़ा युद्धपोत है।

स्कॉर्पीन पनडुब्बियाँ (Kalvari Class)

फ्रांस के सहयोग से बनी ये पनडुब्बियाँ 2017 से भारतीय नौसेना में शामिल की जा रही हैं। ये अत्याधुनिक टॉरपीडो और मिसाइलों से लैस हैं।

ब्रह्मोस युक्त युद्धपोत

भारत के कई विध्वंसक और फ्रिगेट क्लास के जहाज ब्रह्मोस मिसाइल से लैस हैं जो समुद्र से समुद्र और समुद्र से भूमि तक निशाना साध सकते हैं।

✈️ वायुसेना और नौसेना प्रणालियाँ

प्रणाली/विमान/पोत सेवा शाखा शामिल वर्ष रेंज/क्षमता विशेषताएँ
Su-30MKI वायुसेना 2002 3000 किमी ब्रह्मोस से सुसज्जित
राफेल वायुसेना 2020 3700+ किमी मल्टी-रोल, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध
तेजस एलसीए वायुसेना 2016 3000 किमी स्वदेशी, हल्का
INS विक्रांत नौसेना 2022 विमानवाहक पोत मिग-29K तैनात
INS विक्रमादित्य नौसेना 2013 विमानवाहक पोत रूस निर्मित
स्कॉर्पीन पनडुब्बी नौसेना 2017 से डीजल-इलेक्ट्रिक टॉरपीडो व मिसाइल युक्त

5️⃣ भारतीय तोपखाना प्रणाली (Artillery Systems)

धनुष तोप

स्वदेशी रूप से विकसित यह 155 मिमी की होवित्जर तोप है जिसे 2018 में सेना में शामिल किया गया। इसकी रेंज 38–42 किमी है।

ATAGS

Advanced Towed Artillery Gun System, DRDO और निजी कंपनियों के सहयोग से विकसित की गई है। इसकी मारक क्षमता 45–48 किमी है।

Bofors तोप

स्वीडन की यह तोप 1980 के दशक में भारत लाई गई और कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी रेंज 24–30 किमी है।


6️⃣ ड्रोन और UAV प्रणाली (Drone and UAV Systems)

Rustom UAV

यह स्वदेशी रूप से विकसित सर्वेक्षण एवं निगरानी ड्रोन है। यह लंबी अवधि तक उड़ सकता है और सीमाओं पर निगरानी में इस्तेमाल होता है।

Heron और Searcher

इज़रायल से आयातित ये ड्रोन भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना द्वारा निगरानी और टोही के लिए उपयोग किए जाते हैं।

TAPAS-BH-201

यह भारत में विकसित मध्यम ऊँचाई वाला ड्रोन है जो 24 घंटे तक उड़ान भर सकता है।


7️⃣ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की भूमिका

  • मिसाइलों (अग्नि, नाग, त्रिशूल, आकाश) का निर्माण

  • स्वदेशी टैंक, तोप और ड्रोन का विकास

  • 'मेक इन इंडिया' के तहत नए रक्षा उपकरणों की संरचना

  • हथियारों का स्वदेशीकरण और परीक्षण

🎯 तोप, ड्रोन और DRDO प्रणालियाँ

सिस्टम/उपकरण श्रेणी सेवा में वर्ष श्रेणी/रेंज विशेषताएँ
Dhanush तोप (Artillery) 2019 155mm / 38 km स्वदेशी, Bofors का अपग्रेड
K9 Vajra स्व-चालित तोप 2018 155mm / 40+ km दक्षिण कोरियाई तकनीक, भारत में निर्माण
Pinaka MLRS (रॉकेट) 2000 ~40–75 km तेज फायरिंग, मोबाइल
Rustom ड्रोन - मध्यम ऊंचाई, लंबी उड़ान ISR मिशन, स्वदेशी UAV
SWiFT Stealth Drone प्रोटोटाइप - Ghatak UCAV precursor
DRDO Netra मिनी ड्रोन - निकट दृष्टि निगरानी पैरामिलिट्री उपयोग
DRDO अनुसंधान संगठन 1958 रक्षा R&D 80+ प्रयोगशालाएं, मिसाइल से लेकर बुलेट तक


8️⃣ स्वदेशीकरण और 'मेक इन इंडिया'

  • रक्षा उत्पादन नीति 2020 के तहत भारत का लक्ष्य है 2025 तक $25 बिलियन का रक्षा उत्पादन

  • विदेशों से आयात पर निर्भरता कम कर घरेलू तकनीक को बढ़ावा

  • निजी कंपनियों को रक्षा क्षेत्र में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया गया।

भारतीय रक्षा प्रणाली से संबंधित 15 महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (FAQs)

1. भारत में अर्जुन टैंक कब शामिल किया गया?
➤ अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक को वर्ष 2004 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था।

2. ब्रह्मोस मिसाइल किस देश के सहयोग से विकसित की गई?
➤ ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से विकसित की गई है।

3. अग्नि श्रृंखला की सबसे लंबी दूरी की मिसाइल कौन सी है?
➤ अग्नि-V, जिसकी रेंज लगभग 5000–8000 किमी है।

4. नाग मिसाइल का प्रयोग किस प्रकार के लक्ष्य पर किया जाता है?
➤ नाग एक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है, जिसका प्रयोग दुश्मन के टैंकों को नष्ट करने में किया जाता है।

5. राफेल विमान भारत में कब शामिल किया गया था?
➤ राफेल लड़ाकू विमान 2020 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था।

6. INS विक्रांत क्या है?
➤ INS विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, जिसे 2022 में नौसेना में शामिल किया गया।

7. TAPAS-BH-201 क्या है?
➤ यह एक स्वदेशी रूप से विकसित मध्यम ऊँचाई पर उड़ने वाला निगरानी ड्रोन है।

8. भारत में मिसाइल विकास का मुख्य संगठन कौन सा है?
➤ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)।

9. ATAGS तोप की मारक क्षमता कितनी है?
➤ ATAGS की मारक क्षमता लगभग 45–48 किमी तक है।

10. तेजस विमान किस संस्था द्वारा विकसित किया गया?
➤ तेजस हल्का लड़ाकू विमान DRDO और HAL द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया।

11. पृथ्वी मिसाइल की रेंज कितनी है?
➤ पृथ्वी श्रृंखला की रेंज 150 से 350 किलोमीटर तक है।

12. स्कॉर्पीन पनडुब्बी किस देश के सहयोग से बनी है?
➤ यह पनडुब्बी फ्रांस के सहयोग से भारत में बनाई गई है।

13. धनुष तोप किस देश की तकनीक पर आधारित है?
➤ यह Bofors तोप पर आधारित एक स्वदेशी रूपांतरण है।

14. 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम का रक्षा क्षेत्र में क्या महत्व है?
➤ इसका उद्देश्य रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण को बढ़ावा देना और विदेशी निर्भरता को कम करना है।

15. ब्रह्मोस मिसाइल की अधिकतम रेंज क्या है और इसे कहाँ से दागा जा सकता है?
➤ ब्रह्मोस की रेंज अब 450–600 किमी तक है, और इसे ज़मीन, समुद्र और वायु से लॉन्च किया जा सकता है।


निष्कर्ष: भारतीय रक्षा प्रणाली की सशक्त दिशा में यात्रा

भारतीय रक्षा प्रणाली आज न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रही है। स्वदेशी टैंक, मिसाइल, लड़ाकू विमान, पनडुब्बियाँ और ड्रोन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से भारत ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूती प्रदान की है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और 'मेक इन इंडिया' अभियान ने देश को रक्षा उपकरणों के निर्माण में आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज भारत न केवल अपने लिए अत्याधुनिक हथियार प्रणाली विकसित कर रहा है, बल्कि रक्षा निर्यात के क्षेत्र में भी लगातार प्रगति कर रहा है। यह यात्रा आत्मनिर्भरता, तकनीकी नवाचार और रणनीतिक मजबूती की मिसाल है, जो आने वाले वर्षों में भारत को एक वैश्विक रक्षा शक्ति के रूप में स्थापित करने में सहायक होगी।

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