वकील, बैरिस्टर और लॉयर में क्या अंतर है? - GK 2 JOB, Hppsc gk questions in Hindi, gk, सामान्य ज्ञान प्रश्न 2025, general knowledge questions

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वकील, बैरिस्टर और लॉयर में क्या अंतर है?

कानूनी पेशा विभिन्न भूमिकाओं और उपाधियों से भरा हुआ है, और अक्सर लोग "वकील", "बैरिस्टर" और "लॉयर" जैसे शब्दों का उपयोग समान अर्थ में करते हैं। हालांकि, इन तीनों में महत्वपूर्ण अंतर हैं। यह ब्लॉग आपको समझाएगा कि वकील, बैरिस्टर और लॉयर में क्या अंतर है, उनके कार्य क्या होते हैं, और वे किन क्षेत्रों में कार्य करते हैं।

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वकील, बैरिस्टर और लॉयर में क्या अंतर

1. लॉयर (Lawyer) कौन होता है?

लॉयर एक सामान्य शब्द है, जो किसी भी ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है जिसने कानून (Law) की पढ़ाई की हो। यह शब्द विशेष रूप से अंग्रेजी भाषा में अधिक प्रचलित है और किसी भी देश में कानून की डिग्री रखने वाले व्यक्ति को "लॉयर" कहा जा सकता है।


लॉयर के कार्य:

कानून की पढ़ाई करना और कानूनी मामलों की जानकारी रखना।

क्लाइंट को कानूनी सलाह देना।

कोर्ट में केस की तैयारी करना (लेकिन हर लॉयर कोर्ट में प्रैक्टिस नहीं करता)।

विभिन्न कानूनी दस्तावेज तैयार करना, जैसे कि अनुबंध (contracts) और वसीयत (wills)।

निष्कर्ष: लॉयर एक सामान्य शब्द है, जो कानून की डिग्री रखने वाले सभी व्यक्तियों को संदर्भित करता है।


2. वकील (Advocate) कौन होता है?

वकील शब्द भारत और अन्य देशों में प्रयोग किया जाता है और यह उन लोगों को संदर्भित करता है जो कोर्ट में अपने क्लाइंट का प्रतिनिधित्व करने के लिए योग्य होते हैं। भारत में, किसी व्यक्ति को "वकील" या "एडवोकेट" (Advocate) कहने के लिए, उसे बार काउंसिल (Bar Council) द्वारा पंजीकृत होना आवश्यक होता है।


वकील के कार्य:


अपने मुवक्किल (client) की ओर से कोर्ट में पेश होना।
कानूनी परामर्श देना और मुकदमों की पैरवी करना।
कानूनी दस्तावेज तैयार करना और अपने क्लाइंट के अधिकारों की रक्षा करना।
विभिन्न अदालतों में मामलों को संभालना, जैसे कि सिविल, क्रिमिनल, और फैमिली कोर्ट।
निष्कर्ष: भारत में, जो व्यक्ति कानून की डिग्री पूरी करने के बाद बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कर लेता है और कोर्ट में प्रैक्टिस करता है, उसे वकील (Advocate) कहा जाता है।

3. बैरिस्टर (Barrister) कौन होता है?


बैरिस्टर मुख्य रूप से यूनाइटेड किंगडम (UK), ऑस्ट्रेलिया, और कनाडा जैसे देशों में प्रचलित एक विशेष कानूनी पदवी है। बैरिस्टर वही व्यक्ति बन सकता है, जिसने कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद बार काउंसिल ऑफ इंग्लैंड एंड वेल्स (Bar Council of England & Wales) या अन्य मान्यता प्राप्त संस्थानों से बैरिस्टर बनने की योग्यता प्राप्त की हो।

बैरिस्टर के कार्य:

बैरिस्टर का मुख्य कार्य उच्च न्यायालयों (High Courts) और सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ना होता है।
वे आमतौर पर सीधे क्लाइंट से नहीं मिलते, बल्कि सॉलिसिटर (Solicitor) के माध्यम से केस प्राप्त करते हैं।
उनका ध्यान मुख्य रूप से कोर्ट में मौखिक तर्क (oral arguments) और मुकदमों की बहस पर होता है।
बैरिस्टर विशेष रूप से बड़े और जटिल कानूनी मामलों में विशेषज्ञ होते हैं।

4. वकील, अधिवक्ता और बैरिस्टर बनने के लिए जरूरी योग्यता और कोर्स


1. वकील (Lawyer) बनने के लिए पढ़ाई:

  • वकील बनने के लिए सबसे पहले बारहवीं (12वीं) के बाद कानून (Law) की पढ़ाई करनी होती है।

  • इसके लिए छात्र BA-LLB (5 वर्ष) या LLB (3 वर्ष) का कोर्स कर सकते हैं।

  • यह कोर्स किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या लॉ कॉलेज से होना चाहिए जिसे Bar Council of India (BCI) मान्यता देता हो।

  • लॉ की पढ़ाई में संविधान, आपराधिक कानून, सिविल कानून, और न्यायिक प्रक्रियाएं शामिल होती हैं।

  • कोर्स पूरा करने के बाद छात्र को Bar Council of India में रजिस्ट्रेशन कराना होता है।

  • इसके बाद वह Lawyer कहलाता है और विभिन्न कानूनी कार्यों की सलाह दे सकता है।


2. अधिवक्ता (Advocate) बनने के लिए पढ़ाई:

  • अधिवक्ता बनने के लिए सबसे पहले वही प्रक्रिया अपनानी होती है जो वकील बनने के लिए होती है (BA-LLB या LLB)।

  • वकील बनने के बाद All India Bar Examination (AIBE) पास करना अनिवार्य होता है।

  • AIBE पास करने के बाद Bar Council से एक प्रमाण पत्र (Certificate of Practice) मिलता है।

  • इसके बाद व्यक्ति अदालत में मुवक्किलों की ओर से केस लड़ सकता है और Advocate कहलाता है।

  • अधिवक्ता अदालतों में पेश होकर वाद-विवाद कर सकते हैं, जिरह कर सकते हैं और न्यायिक निर्णयों में भाग ले सकते हैं।

  • अधिवक्ता उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में कार्य करने के लिए विशेष अनुमति ले सकते हैं।


3. बैरिस्टर (Barrister) बनने के लिए पढ़ाई:

  • बैरिस्टर बनने के लिए आमतौर पर ब्रिटिश कानूनी प्रणाली (UK Law) के तहत पढ़ाई करनी होती है।

  • छात्र को इंग्लैंड के किसी इनर टेम्पल (Inner Temple), मिडल टेम्पल (Middle Temple) जैसे Bar Council से जुड़े संस्थानों से Law की डिग्री (LLB or GDL) प्राप्त करनी होती है।

  • फिर उसे Bar Professional Training Course (BPTC) करना होता है।

  • इसके बाद छात्र को किसी वरिष्ठ बैरिस्टर के अधीन Pupillage (प्रशिक्षण) करना होता है।

  • पूरी प्रक्रिया पूरी करने के बाद व्यक्ति को Barrister-at-Law की उपाधि मिलती है।

  • भारत में यदि कोई व्यक्ति इंग्लैंड से Barrister बनता है, तो उसे भारत में प्रैक्टिस के लिए भी Bar Council से अनुमति लेनी पड़ती है।

5. मुख्य अंतर सारणीबद्ध रूप में

विशेषता   लॉयर (Lawyer)  
वकील (Advocate)
बैरिस्टर (Barrister)

परिभाषा कोई भी व्यक्ति जिसने कानून की पढ़ाई की हो ऐसा व्यक्ति जो कोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए पंजीकृत हो एक विशेष प्रकार का वकील जो उच्च न्यायालयों में मामलों की बहस करता है  
क्षेत्र दुनिया भर में मुख्य रूप से भारत यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा आदि
कोर्ट में पेशी जरूरी नहीं हां हां, लेकिन सॉलिसिटर के माध्यम से 
मुख्य कार्य  कानूनी दस्तावेज तैयार करना, परामर्श देना मुकदमों की पैरवी करना, कानूनी सलाह देना
उच्च न्यायालयों में जटिल मुकदमों की बहस करना
निष्कर्ष
 

      अगर आप कानून की पढ़ाई कर रहे हैं या कानूनी पेशे में रुचि रखते हैं, तो यह समझना जरूरी है कि लॉयर, वकील, और बैरिस्टर में क्या अंतर है।

      लॉयर एक सामान्य शब्द है, जो किसी भी कानून की पढ़ाई करने वाले व्यक्ति को संदर्भित करता है।
वकील (Advocate) वह व्यक्ति होता है जो बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के बाद कानूनी प्रैक्टिस करता है और कोर्ट में केस लड़ता है।
        बैरिस्टर मुख्य रूप से इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में एक विशेष प्रकार का वकील होता है, जो उच्च न्यायालयों में विशेष मामलों की बहस करता है।

निष्कर्ष:

बैरिस्टर मुख्य रूप से इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, और अन्य देशों में कोर्ट में विशेष रूप से बहस करने वाले वकील होते हैं। वे सीधे क्लाइंट से नहीं मिलते, बल्कि सॉलिसिटर के माध्यम से केस प्राप्त करते हैं।


अगर आप भारत में वकालत करना चाहते हैं, तो आपको एलएलबी (LLB) की डिग्री प्राप्त करनी होगी और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) में पंजीकरण करना होगा। वहीं, अगर आप यूके में बैरिस्टर बनना चाहते हैं, तो आपको बैरिस्टर ट्रेनिंग पूरी करनी होगी।

     क्या आप वकालत के क्षेत्र में जाना चाहते हैं?
अगर हां, तो अपने लक्ष्य के अनुसार सही मार्गदर्शन प्राप्त करें और कानूनी पढ़ाई में अपना करियर बनाएं

वकील, अधिवक्ता और बैरिस्टर 10 महत्वपूर्ण FAQs (Frequently Asked Questions)


 1. वकील बनने के लिए कौन-कौन से कोर्स करने होते हैं?
उत्तर: वकील बनने के लिए आप BA-LLB (5 वर्ष) या LLB (3 वर्ष) का कोर्स कर सकते हैं, जिसे किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किया गया हो।


2. अधिवक्ता बनने के लिए क्या वकील बनना जरूरी है?
उत्तर: हाँ, अधिवक्ता बनने के लिए पहले वकील बनना जरूरी है। इसके बाद आपको All India Bar Examination (AIBE) पास करना होता है।
3. क्या वकील और अधिवक्ता में कोई अंतर होता है?
उत्तर: हाँ, वकील वह होता है जिसने लॉ की डिग्री ली हो, जबकि अधिवक्ता वह होता है जो कोर्ट में मुवक्किल की ओर से केस लड़ने के लिए AIBE पास कर चुका हो।
4. बैरिस्टर कौन होता है और यह कैसे बना जाता है?
उत्तर: बैरिस्टर ब्रिटेन की कानूनी प्रणाली के अंतर्गत प्रशिक्षित वह व्यक्ति होता है जो UK में BPTC और Pupillage करके Barrister-at-Law बनता है।
5. क्या भारत में बैरिस्टर बनकर प्रैक्टिस की जा सकती है?
उत्तर: हाँ, लेकिन UK से Barrister बनने के बाद भारत में प्रैक्टिस के लिए Bar Council of India से अनुमति लेनी होती है।
6. Law की पढ़ाई करने के लिए कौन-सी न्यूनतम योग्यता चाहिए?
उत्तर: BA-LLB के लिए 12वीं पास और LLB (3 वर्ष) के लिए स्नातक (Graduation) पास होना जरूरी है।
7. All India Bar Examination (AIBE) कब देना होता है?
उत्तर: LLB पास करने और Bar Council में रजिस्ट्रेशन के बाद AIBE परीक्षा दी जाती है, जिससे प्रमाण पत्र (Certificate of Practice) प्राप्त होता है।
8. क्या अधिवक्ता हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ सकते हैं?
उत्तर: हाँ, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस के लिए अलग से “Advocate on Record” की परीक्षा पास करनी होती है।
9. भारत में वकील बनने के बाद कौन-कौन से करियर विकल्प हैं?
उत्तर: आप वकालत, जज बनना, लीगल एडवाइजर, सरकारी अभियोजक (Public Prosecutor), कानूनी शिक्षक आदि बन सकते हैं।
10. क्या बैरिस्टर और अधिवक्ता दोनों एक साथ बने जा सकते हैं?
उत्तर: तकनीकी रूप से हाँ, यदि आप UK से Barrister की डिग्री लेते हैं और भारत में AIBE पास करके अधिवक्ता बनते हैं तो दोनों योग्यताएँ आपके पास हो सकती हैं।

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