भारत में सड़कों का वर्गीकरण: स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे, फोरलेन, एक्सप्रेसवे और पेरीफेरल हाईवे - GK 2 JOB, Hppsc gk questions in Hindi, gk, सामान्य ज्ञान प्रश्न 2025, general knowledge questions

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भारत में सड़कों का वर्गीकरण: स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे, फोरलेन, एक्सप्रेसवे और पेरीफेरल हाईवे

भारत में सड़कों का वर्गीकरण: स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे, फोरलेन, एक्सप्रेसवे और पेरीफेरल हाईवे

भारत में सड़क परिवहन का एक विस्तृत नेटवर्क है, जो देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सरकार द्वारा सड़क नेटवर्क को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है, जिनमें स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे, फोरलेन, एक्सप्रेसवे और पेरीफेरल हाईवे शामिल हैं। इस ब्लॉग में हम इन सभी सड़कों की विशेषताओं, उपयोगिता, और भौगोलिक प्रसार के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

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भारत में सड़कों का वर्गीकरण 

सड़कों के प्रकार और उनकी विशेषताएँ


भारत में सड़कों को उनके उपयोग और प्रशासनिक जिम्मेदारी के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है। नीचे दी गई तालिका में इनके बीच मुख्य अंतर दिखाए गए हैं:

हाईवे का प्रकारप्रशासनिक नियंत्रणगति सीमा (किमी/घंटा)लेन की संख्याउदाहरण
स्टेट हाईवे (SH)राज्य सरकार60-802-4SH-18 (राजस्थान), SH-1 (उत्तर प्रदेश)
नेशनल हाईवे (NH)केंद्र सरकार (NHAI)80-1004-6NH-44, NH-48
फोरलेन हाईवेकेंद्र/राज्य सरकार80-1004NH-16 (ओडिशा)
एक्सप्रेसवे (Expressway)केंद्र सरकार100-1206-8दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, यमुना एक्सप्रेसवे
पेरीफेरल हाईवे (Peripheral Highway)केंद्र/राज्य सरकार80-1004-6कुंडली-मानेसर-पलवल (KMP) एक्सप्रेसवे

1. स्टेट हाईवे (State Highway - SH)

स्टेट हाईवे वे सड़कें होती हैं जो एक राज्य के महत्वपूर्ण शहरों और जिलों को जोड़ती हैं। ये राष्ट्रीय राजमार्गों (NH) से कम महत्वपूर्ण होते हैं लेकिन राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान करते है।



विशेषताएँ


  • राज्य सरकार द्वारा बनाए और प्रबंधित किए जाते हैं।
  • इनका रखरखाव राज्य लोक निर्माण विभाग (PWD) करता है।
  • आमतौर पर इनकी चौड़ाई 10-20 मीटर होती है।
  • इनकी कुल लंबाई लगभग 1.79 लाख किमी (2024) है।

उदाहरण:

  • SH-18 (राजस्थान) – यह कोटा से जयपुर को जोड़ता है।
  • SH-1 (उत्तर प्रदेश) – यह आगरा से लखनऊ तक फैला है।

2. नेशनल हाईवे (National Highway - NH)

नेशनल हाईवे भारत के सबसे महत्वपूर्ण सड़क मार्ग होते हैं जो विभिन्न राज्यों को आपस में जोड़ते हैं। इनका प्रबंधन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा किया जाता है।

विशेषताएँ:

  • यह पूरे देश में प्रमुख परिवहन मार्ग होते हैं।
  • केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित और प्रबंधित।
  • उच्च गति सीमा (80-100 किमी/घंटा)।
  • इनकी कुल लंबाई 1,44,000 किमी (2024) से अधिक है।
  • चौड़ाई 20-60 मीटर तक होती है।

उदाहरण:

  • NH-44 – यह श्रीनगर से कन्याकुमारी तक जाता है और भारत का सबसे लंबा हाईवे है।
  • NH-48 – यह दिल्ली से मुंबई और फिर चेन्नई तक जाता है।

3. फोरलेन हाईवे (Four-Lane Highway)

फोरलेन हाईवे ऐसे राजमार्ग होते हैं जिनमें दो लेन एक दिशा में और दो लेन दूसरी दिशा में होती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य यातायात की भीड़ को कम करना और सुरक्षित सफर प्रदान करना होता है।

विशेषताएँ:

  • यह आमतौर पर नेशनल हाईवे या स्टेट हाईवे का उन्नत संस्करण होते हैं।
  • स्पीड लिमिट 80-100 किमी/घंटा होती है।
  • डिवाइडर से दोनों दिशाओं को अलग किया जाता है।
  • सड़क के दोनों किनारों पर सर्विस रोड भी हो सकती है।

उदाहरण:

  • NH-16 (पूर्वी तट का हाईवे) – यह कोलकाता से चेन्नई तक फैला है।
  • NH-19 – यह दिल्ली से कोलकाता को जोड़ता है और फोरलेन में बदला गया है।

4. एक्सप्रेसवे (Expressway)

एक्सप्रेसवे भारत की सबसे तेज़ और आधुनिक सड़कें होती हैं, जिन्हें उच्च गति की गाड़ियों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है।

विशेषताएँ:

  • केंद्र सरकार द्वारा प्रबंधित।
  • नियंत्रित प्रवेश और निकास।
  • गति सीमा 100-120 किमी/घंटा।
  • 6 से 8 लेन की चौड़ाई।
  • कोई रेड लाइट या चौराहा नहीं।

उदाहरण:

  • यमुना एक्सप्रेसवे – यह दिल्ली और आगरा को जोड़ता है।
  • दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे – यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे (1,350 किमी) होगा।

5. पेरीफेरल हाईवे (Peripheral Highway)

पेरीफेरल हाईवे का निर्माण बड़े शहरों के चारों ओर ट्रैफिक को डायवर्ट करने के लिए किया जाता है, जिससे शहर के अंदर जाम की समस्या कम होती है।

विशेषताएँ:

  • मुख्य रूप से महानगरों के आसपास बनाए जाते हैं।
  • भारी वाहनों के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रदान करते हैं।
  • गति सीमा 80-100 किमी/घंटा होती है।

उदाहरण:

  • कुंडली-मानेसर-पलवल (KMP) एक्सप्रेसवे – दिल्ली के चारों ओर बना रिंग रोड।
  • ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे – दिल्ली-एनसीआर का प्रमुख यातायात डायवर्ट करने वाला मार्ग।

भारत में सड़कों के निर्माण हेतु धन संग्रह के प्रमुख स्रोत


भारत में सड़कों जैसे नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे, फोरलेन, एक्सप्रेसवे और पेरीफेरल हाईवे के निर्माण हेतु सरकार विभिन्न स्रोतों से धन जुटाती है। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकारें बजट में प्रावधान करती हैं। नेशनल हाईवे के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय फंड उपलब्ध कराता है। इसके अलावा टोल टैक्स, सेस (जैसे पेट्रोल-डीजल पर रोड सेस), और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल से भी धन जुटाया जाता है। कभी-कभी अंतरराष्ट्रीय संस्थानों जैसे वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक से भी ऋण लिया जाता है। इन माध्यमों से सड़क निर्माण की वित्तीय ज़रूरतें पूरी की जाती हैं।
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नेशनल हाईवे, फोरलेन, एक्सप्रेसवे और पेरीफेरल हाईवे  

सामान्य प्रश्न (FAQ)

  1. भारत में सड़कों को कितने मुख्य प्रकारों में विभाजित किया गया है?
    भारत में सड़कों को आमतौर पर पांच मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है: राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highways), राज्य राजमार्ग (State Highways), जिला सड़कें (District Roads), ग्रामीण सड़कें (Rural Roads), और शहरी सड़कें (Urban Roads)।

  2. राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) और राज्य राजमार्ग (SH) में क्या अंतर है?
    राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) पूरे देश में एक राज्य से दूसरे राज्य को जोड़ते हैं और केंद्र सरकार द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं, जबकि राज्य राजमार्ग (SH) किसी विशेष राज्य के भीतर महत्वपूर्ण शहरों और जिलों को जोड़ने के लिए बनाए जाते हैं और राज्य सरकार के अधीन होते हैं।

  3. फोरलेन सड़क क्या होती है और इसका क्या महत्व है?
    फोरलेन सड़कें वे होती हैं जिनमें दो लेन एक दिशा में और दो लेन दूसरी दिशा में होती हैं, जिससे वाहनों को अधिक सुगमता और गति मिलती है। ये राजमार्गों और एक्सप्रेसवे का हिस्सा होती हैं और लंबी दूरी की यात्रा को आसान बनाती हैं।

  4. एक्सप्रेसवे (Expressway) और हाईवे (Highway) में क्या अंतर है?
    एक्सप्रेसवे उच्च गति के लिए डिज़ाइन की गई सड़कें होती हैं जिनमें सीमित प्रवेश और निकास बिंदु होते हैं, जबकि हाईवे पर स्थानीय ट्रैफिक के लिए भी कई कट और प्रवेश बिंदु होते हैं। एक्सप्रेसवे पर आमतौर पर अधिकतम गति सीमा हाईवे से अधिक होती है।

  5. भारत में सबसे लंबा एक्सप्रेसवे कौन सा है?
    भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 1,386 किलोमीटर है।

  6. पेरीफेरल हाईवे (Peripheral Highway) क्या होता है?
    पेरीफेरल हाईवे ऐसे बाईपास या रिंग रोड होते हैं जो किसी बड़े शहर या मेट्रो क्षेत्र के चारों ओर बनाए जाते हैं ताकि शहर के अंदर ट्रैफिक को कम किया जा सके और भारी वाहनों को डायवर्ट किया जा सके।

  7. भारत में फ्रीवे और एक्सप्रेसवे में क्या अंतर है?
    फ्रीवे और एक्सप्रेसवे में मुख्य अंतर यह है कि फ्रीवे पूरी तरह से टोल-फ्री हो सकते हैं, जबकि एक्सप्रेसवे आमतौर पर टोल-आधारित होते हैं। दोनों ही हाई-स्पीड और सीमित एक्सेस वाली सड़कें होती हैं।

  8. क्या भारत में सभी एक्सप्रेसवे टोल आधारित होते हैं?
    हां, भारत में लगभग सभी एक्सप्रेसवे टोल आधारित होते हैं क्योंकि इन्हें उच्च गुणवत्ता और रखरखाव के लिए वित्त पोषित किया जाता है।

  9. राष्ट्रीय राजमार्गों का नामकरण कैसे किया जाता है?
    2010 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों की संख्या प्रणाली को पुनर्गठित किया, जिसमें उत्तर से दक्षिण जाने वाले राजमार्गों को सम संख्याएं और पूर्व से पश्चिम जाने वाले राजमार्गों को विषम संख्याएं दी जाती हैं।

  10. भारत में सबसे व्यस्त राष्ट्रीय राजमार्ग कौन सा है?
    राष्ट्रीय राजमार्ग-44 (NH-44), जो जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक जाता है, भारत का सबसे लंबा और सबसे व्यस्त राष्ट्रीय राजमार्गों में से एक माना जाता है।

निष्कर्ष

भारत में सड़कों का यह नेटवर्क देश की अर्थव्यवस्था को तेज़ी से आगे बढ़ाने में मदद कर रहा है। एक्सप्रेसवे और फोरलेन सड़कें हाई-स्पीड कनेक्टिविटी प्रदान कर रही हैं, जबकि पेरीफेरल हाईवे शहरों के ट्रैफिक को नियंत्रित कर रहे हैं। सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार कर रही है, जिससे लॉजिस्टिक्स और परिवहन में सुधार हो रहा है।

भविष्य की योजनाएँ:

  • भारतमाला परियोजना के तहत नए नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे बनाए जा रहे हैं।
  • 2030 तक 2 लाख किमी से अधिक सड़कें विकसित करने की योजना।
  • इलेक्ट्रिक वाहन और चार्जिंग स्टेशनों के लिए आधुनिक एक्सप्रेसवे विकसित किए जा रहे हैं।

यह सभी प्रयास भारत को एक मजबूत सड़क नेटवर्क देने में सहायक होंगे, जिससे यात्रा सुरक्षित, तेज़ और सुविधाजनक होगी।


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