भारत में सड़कों का वर्गीकरण: स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे, फोरलेन, एक्सप्रेसवे और पेरीफेरल हाईवे
भारत में सड़क परिवहन का एक विस्तृत नेटवर्क है, जो देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सरकार द्वारा सड़क नेटवर्क को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है, जिनमें स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे, फोरलेन, एक्सप्रेसवे और पेरीफेरल हाईवे शामिल हैं। इस ब्लॉग में हम इन सभी सड़कों की विशेषताओं, उपयोगिता, और भौगोलिक प्रसार के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
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भारत में सड़कों का वर्गीकरण |
सड़कों के प्रकार और उनकी विशेषताएँ
भारत में सड़कों को उनके उपयोग और प्रशासनिक जिम्मेदारी के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है। नीचे दी गई तालिका में इनके बीच मुख्य अंतर दिखाए गए हैं:
हाईवे का प्रकार | प्रशासनिक नियंत्रण | गति सीमा (किमी/घंटा) | लेन की संख्या | उदाहरण |
---|---|---|---|---|
स्टेट हाईवे (SH) | राज्य सरकार | 60-80 | 2-4 | SH-18 (राजस्थान), SH-1 (उत्तर प्रदेश) |
नेशनल हाईवे (NH) | केंद्र सरकार (NHAI) | 80-100 | 4-6 | NH-44, NH-48 |
फोरलेन हाईवे | केंद्र/राज्य सरकार | 80-100 | 4 | NH-16 (ओडिशा) |
एक्सप्रेसवे (Expressway) | केंद्र सरकार | 100-120 | 6-8 | दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, यमुना एक्सप्रेसवे |
पेरीफेरल हाईवे (Peripheral Highway) | केंद्र/राज्य सरकार | 80-100 | 4-6 | कुंडली-मानेसर-पलवल (KMP) एक्सप्रेसवे |
1. स्टेट हाईवे (State Highway - SH)
स्टेट हाईवे वे सड़कें होती हैं जो एक राज्य के महत्वपूर्ण शहरों और जिलों को जोड़ती हैं। ये राष्ट्रीय राजमार्गों (NH) से कम महत्वपूर्ण होते हैं लेकिन राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान करते है।
विशेषताएँ
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उदाहरण:
- SH-18 (राजस्थान) – यह कोटा से जयपुर को जोड़ता है।
- SH-1 (उत्तर प्रदेश) – यह आगरा से लखनऊ तक फैला है।
2. नेशनल हाईवे (National Highway - NH)
नेशनल हाईवे भारत के सबसे महत्वपूर्ण सड़क मार्ग होते हैं जो विभिन्न राज्यों को आपस में जोड़ते हैं। इनका प्रबंधन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा किया जाता है।
विशेषताएँ:
- यह पूरे देश में प्रमुख परिवहन मार्ग होते हैं।
- केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित और प्रबंधित।
- उच्च गति सीमा (80-100 किमी/घंटा)।
- इनकी कुल लंबाई 1,44,000 किमी (2024) से अधिक है।
- चौड़ाई 20-60 मीटर तक होती है।
उदाहरण:
- NH-44 – यह श्रीनगर से कन्याकुमारी तक जाता है और भारत का सबसे लंबा हाईवे है।
- NH-48 – यह दिल्ली से मुंबई और फिर चेन्नई तक जाता है।
3. फोरलेन हाईवे (Four-Lane Highway)
फोरलेन हाईवे ऐसे राजमार्ग होते हैं जिनमें दो लेन एक दिशा में और दो लेन दूसरी दिशा में होती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य यातायात की भीड़ को कम करना और सुरक्षित सफर प्रदान करना होता है।
विशेषताएँ:
- यह आमतौर पर नेशनल हाईवे या स्टेट हाईवे का उन्नत संस्करण होते हैं।
- स्पीड लिमिट 80-100 किमी/घंटा होती है।
- डिवाइडर से दोनों दिशाओं को अलग किया जाता है।
- सड़क के दोनों किनारों पर सर्विस रोड भी हो सकती है।
उदाहरण:
- NH-16 (पूर्वी तट का हाईवे) – यह कोलकाता से चेन्नई तक फैला है।
- NH-19 – यह दिल्ली से कोलकाता को जोड़ता है और फोरलेन में बदला गया है।
4. एक्सप्रेसवे (Expressway)
एक्सप्रेसवे भारत की सबसे तेज़ और आधुनिक सड़कें होती हैं, जिन्हें उच्च गति की गाड़ियों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है।
विशेषताएँ:
- केंद्र सरकार द्वारा प्रबंधित।
- नियंत्रित प्रवेश और निकास।
- गति सीमा 100-120 किमी/घंटा।
- 6 से 8 लेन की चौड़ाई।
- कोई रेड लाइट या चौराहा नहीं।
उदाहरण:
- यमुना एक्सप्रेसवे – यह दिल्ली और आगरा को जोड़ता है।
- दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे – यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे (1,350 किमी) होगा।
5. पेरीफेरल हाईवे (Peripheral Highway)
पेरीफेरल हाईवे का निर्माण बड़े शहरों के चारों ओर ट्रैफिक को डायवर्ट करने के लिए किया जाता है, जिससे शहर के अंदर जाम की समस्या कम होती है।
विशेषताएँ:
- मुख्य रूप से महानगरों के आसपास बनाए जाते हैं।
- भारी वाहनों के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रदान करते हैं।
- गति सीमा 80-100 किमी/घंटा होती है।
उदाहरण:
- कुंडली-मानेसर-पलवल (KMP) एक्सप्रेसवे – दिल्ली के चारों ओर बना रिंग रोड।
- ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे – दिल्ली-एनसीआर का प्रमुख यातायात डायवर्ट करने वाला मार्ग।
भारत में सड़कों के निर्माण हेतु धन संग्रह के प्रमुख स्रोत
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नेशनल हाईवे, फोरलेन, एक्सप्रेसवे और पेरीफेरल हाईवे |
निष्कर्ष
भारत में सड़कों का यह नेटवर्क देश की अर्थव्यवस्था को तेज़ी से आगे बढ़ाने में मदद कर रहा है। एक्सप्रेसवे और फोरलेन सड़कें हाई-स्पीड कनेक्टिविटी प्रदान कर रही हैं, जबकि पेरीफेरल हाईवे शहरों के ट्रैफिक को नियंत्रित कर रहे हैं। सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार कर रही है, जिससे लॉजिस्टिक्स और परिवहन में सुधार हो रहा है।
भविष्य की योजनाएँ:
- भारतमाला परियोजना के तहत नए नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे बनाए जा रहे हैं।
- 2030 तक 2 लाख किमी से अधिक सड़कें विकसित करने की योजना।
- इलेक्ट्रिक वाहन और चार्जिंग स्टेशनों के लिए आधुनिक एक्सप्रेसवे विकसित किए जा रहे हैं।
यह सभी प्रयास भारत को एक मजबूत सड़क नेटवर्क देने में सहायक होंगे, जिससे यात्रा सुरक्षित, तेज़ और सुविधाजनक होगी।
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